सोमवार, 30 मई 2011

जीवै जित्ते खेले फाग: जीते जिक्को जावै भाग

फेर दे फलाणजी ने वोट। ओ अखाणो कदै बोदो नीं हुवै। बीकाणै में तो खैर बात ही न्यारी है। ठा नीं, अठै किस्यो फ्रिज लाग्योड़ो है। कोई चीज बासी हुवै ही नीं है। अर जकेने कोझी बणावणी है, मजाल है कि गुलाब अर केवड़े रे खशबू भी कीं निहाल कर दे। माड़ी जकी माड़ी अर मोटी जकी मोटी। जच जावै तो फेर कोई माड़ी हो चायै माटी। चालै सरनाटा देंवती। तो इस्या ही चुणाव है-हवा चालै जीते जिको जिंदाबाद। पार्षद हुवौ चायै सांसद। कीं तो अठै अेक बार जीत में धापै ई ज नीं है। अर लोग भी इस्या दातार क दे वोट-दे वोट। किस्या लोग करणीसिंहजी ने भूल्या है। भूलै जकां रौ कोई क्या कर सकै-धरमेंदर भी तो अठै सूं जीत परा ही गया।
जीवै जित्ते खेलै फाग री कैवत आळै सैर में जीते जिक्को जावै भाग रो अखाणो बणन ने त्यार है। लोगां रा काम हुवै नीं है अर ठावस रैवे कित्ती दे ताणी। चैरा इस्या क लोग रे मूंडै ताळा है। सैर इज इस्यो है। अठै लोगां ने बात सट्टै मोलाय लो भलां ई, नस कटावण नै त्यार है। इसै सैर में विकास री बात कुण करै। करै तो लोग केवण ने त्यार रैवै। गिणावण नै त्यार रैवे करणीसिंह, मनफूलसिंह, शोपतसिंह, रामेश्वर डूडी, धरमेंदर री बातां। उण घड़ी क्यूं नीं बोल्या जद करणीसिंहजी चुप बैठा रैया? बात तो साचाणी है। देस ऊंचली पंचायत में पूरा 25 साल। अर सैर बठै रो बठै। बिसो रो बिसो। उण दिनां तो कोई पार्टी-पोलीटिक्स भी नीं ही। चावै तो कीं नीं हुवै। बस, आ ईज बात। चावै तो कीं नीं हुवै। पण चावणा कठै। करणीसिंहजी री बात तो खैर समझ में आवै। आजादी रे बाद राजा-महाराजा जकी पीड़ सूं दो-च्यार हुया, उण सूं बीकाणै रा लोग वाकिफ हा। इणी खातर अन्नदाता रै करजे सारु आप रो वोट घालता रैया-घालता रैया। आज भी घाल ईज रिया है।
अबार बात अधबिचाळै ई ज ही क बात आई-साफे आळा सांसद तो कीं करता दिखै। साची राजस्थानी री बात करणीसिंहजी उठाई अर अे भी लाग मेल्या है। अर्जुन मेघवाल तो अफसर भी रैयोड़ा है। कीं जाणै नीं है राजनीति रा उणियारा। अे तो जे कीं भी करसी तो घणै में गिणीजसी। क्यूं? क्यूं कांय री डोफा। लारला कीं करयो ई ज कोयनी तो गिणती तो अठै सूं ही सरू हुवैली नीं। आ बात नीं है-रामेश्वर डूडी अर धरमेंदर भी पइसो तो लगायो ही हो। पाटो बोलै जद कुण नीं हंकरै। अर म्हारी किसी जाड़। मानण में के जावै। पण कुबदी कठै स्याणा रैवै। पूर-पल्ला करण लाग्या तो सून बापरगी।
अेके सागै पाटै पर जैकारो लाग्यो-फेर दो फलाणिये ने वोट। आ केवणी ही क नेताजी आयग्या। रामरमी करी। बतायौ कोई बेसक में आया है। च्यार-पांच चमचलिया सागै हुयग्या। हाथ जोड़ कर हुणियार ने नमस्कार री बात कैयी। चौक में भी आ ईज बात ही क हुणियार ने नमस्कार है। अब कोई साब है तो कोई भाईसाब। कोई बाबूसा है तो कोई बाईसा। भाई ने कुण केय सके तो साफे आळा साब री बात ही निरवाळी। बुलावै जको जाणै सवा घंटा इणां ने ईज देवणो पड़सी। बातां घणी मठार-मठार करै। फेसबुक माथै भी खेचळ करता दिखै। पर सैर बठै रो बठै। अेक पुलियो बरसां पैली बण्यो अर दूजो बरसां सूं बण रियो है। कद पूरो हुयसी कोई नीं जाणै। जद इंजीनियरां रै जच सी। नेतावां ने दम है कोयनी। अफसरां रो मतळब सर रियो है। सूरसागर पाछो बासण लाग्यो तो थांने कांई। शहीद जेम्स रे नांव बणी सड़क आज भी सुधरी कोयनी तो फूटा चालण आळा रां। किण री गाय कुण नीरै। भाई जाणै ना भाईसा, साब जाणै, म्हाराज जाणै न जाणै बाबूसा। बाईसा सूं आस राखणो जायज नीं है। बाई-बेटी सूं लेवां के देवां? इण सवाल सारु सारो सैर अेकामतो है। कोई बाईसा ने कीं केवे ईज नीं है। केवै तो कोई ने ईज नीं है। खुदा-खुद ही चूख लेवै चामड़ी। भरता रैवे चरूटियां। उपड़ता रैवे झरूंटिया। थांनै कोई कवि याद आवै तो करौ। गया वे दिन जद रात रा कवि पाटा माथै पूग जांवता अर हवा रा लैरका सागै बाजतौ कदै भीम रौ तुणतुणियो। भादाणी रो सत। सदीक रो इयां कियां। पाटा अर चौक आज भी इण ने झुरे। अे पाटा अर चौक बापड़ा कीं जाणै क अे मिनख हा। इणा री तरयां चीज नीं हा। कांई साची पाटो चीज अर चौक बस अेक जगै है? बोला मालक...बोला-बोला क्यूं बैठा हो।
हरीश बी. शर्मा      

1 टिप्पणी:

  1. अबके खेचळ में तो खूब लपेट्या हो भई जी। रहस्‍य रे साथे गम्‍भीर मसला, मजाक मजाक में। बच्‍चनजी री एक लेण याद आयगी के 'जब भी वृद्धो से यह पूछा, एक यही उत्‍तर पाया। अब न रहे वो पीने वाले, अब न रही वो मधुशाला'..। अबे 'चीज' तो कूडी कूडी ही पाटे माथे बैठसी भई जी।
    जोरदार..।

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