मंगलवार, 21 जून 2011

अन्नदाता रे आंगणै आज भी...

रजवाड़ा हा जद अन्नदाता रै सांमी तीन धड़ा जीमीजता। अन्नदाता रो जी आज भी सोरो है। आज भी सिंझ्या पड़ता ईज अठै जीमणिया भेळा हुवणा सरू हुय जावै। फरक थोड़ा-घणो हुय सके। जीमै तो है ही। कोई इडली खावै, कोई डोसा। चाऊमीन, पावभाजी, छोला, टिक्की, पापड़ी सैं कीं। जे अन्नदाता आज हुंवता तो बे किसा सीरो-पूड़ी ईज पुरसता। रेसीपी तो बदळीजती नीं? तो तू तो आ ईज समझ। फलाणियो चौक में पत्तो फेेंक्यो तो खाली ढिकाणिये खनी हो पण कॉन सगळों रा लाग ग्या हा। कठै री बात करै है रे?
कीं नीं काका, गढ़ सामीं री बात करूं हूं। सिंझ्या पड़ता ई बठै लैणसर गाडा लागै अर जिको मानखौ ढुके, म्हने तो लागै ज्यां तीन धड़ा है। अर फलाणियो हंसण लाग्यो। खड़ा-खड़ा खावौ। होटलां सूं कम पइसा चुकावौ अर घरां जावौ। काको  जगां ने ओळखण सारु आंख्यां मिचै हो क ढिकाणियो बाल्यो-के सोचो हो काका? थे किस्या जाणो कोयनी चटोरे चौक ने। काको कीं समझतो इणसूं पैली ही फलाणियो बोल्यो-बो ईज काका जठै थे गवर रे मेळा में जांवता। करता कीं हा, आ म्हे नीं जाणूं। काके रे चैरो जाणे पळपळाट करण लाग्यो। अच्छ्या। थूं कांई बतायो चौक रो नांव। चटोरे चौक। फलाणियो बोल्यो, काका नांव तो कीं इसो ईज है पण जे साची बोल दूं तो सेंसर बोर्ड आळा जीवण ना दे। काको तरनाट देणी घूम्यो। गाळ काढ़तो बोल्यो-सेंसर बोर्ड री तो... तू नांव बता।
इसो इज नांव है काका। अबै जित्ता मुंडा उत्ती बातां। लोग तो आ भी कैवे है क ओ जल्दी ही दिल्ली रो कनाट प्लेस बण जासी। काको खुश हो पण म्हे उदास। मन ई मन सोचतो रैयो क चाय पट्टी सूं लेयर मोहता चौक रो कांई हुसी? रबड़ी, पकौड़ी कठै जासी। साग सागै पकौड़ी अर बरफ सागै रबड़ी जद चाय पट्टी ने पकौड़ी पट्टी अर मोहता चौक ने रबड़ी चौक नीं कर सकी तो इडली-वड़े री कांई औकात। पण ओ तो हुयग्यो साब। छोटू-मोटू रो बासो आपरी जगां है अर आपरी जगां है बीके स्कूल का दईबड़ा। इण बीच ओ चाऊमीन कठै जगां बणा लीनीं। बाळनजोगा बर्गर अर पिज्जो कठै सूं धंसग्या?
म्हे सोचतो ई हो क पाटे पर केक आयग्यो। काके रे पोते रो जलमदिन हो। घर में हैप्पी बर्डे हुयौ। पाटे री सीर पक्की। काको बोल्यो-ले रे फलाणिया, केक खावां। म्हे बोल्यो काका अपां तो खीर बणावतां। काको किस्यो चूके हो-बणी हुवैली रे डोफा। सुगना री तो खीर या लापसी ईज बणै। पण छोरो आपरै भायलां री खीर री जगां केक सूं मनवार करणी चावै तो अपां भी खाय लां। चिंत्या ना कर इण में इंडा कोयनी। भीखाराम बिना इंडा रो केक बणावै। म्हे सोच्यो-जद ही भीखाराम चालै है, भुजियों रे भरोसे तो लंका लुट ई जांवती।           
-हरीश बी. शर्मा

बुधवार, 15 जून 2011

बाबे ने सनेसो, सिंगा-मुठिया राख सागै

चौक हुवै चायै पाटो। बाबो पूरी तरै चौभाटै है। कुण किण नै रोक सक्यो है। बाबो चीज ही क्या। लारलै दिनां बीकाणै आयौ जद भी रइसां रो राजा। नोखा रोड पर रैवास हो जठै मिळन खातर गया जकां री मन में ही रैय गी। उण दिन सूं ईज बाबो थरपग्यो रइसां रो बाबो। पइसा फेंको, तमाशा देखो। इण सैर ने कीं पड़ी है। घणा ई बाबा देख्या है। प्रबल ब्रह्मचारी सूं लेय र बाबा रामदेव ताणी। इण धरमधरा में सब नै नाम। सैं रो सिनमान। बाबे रे नांव भी पाळा खिंचिजग्या है। पचास डिग्री खने पूग्ये सैर रो पारो पाटे पर सौ रे नेड़े-तेड़े लागै।
बाबे रा पख लेवण्या किसा कम है। बोले, बाबो सरुआत को करी। आ केंवता ईज लोग लालकृष्ण आडवाणी सूं लेयर अन्ना हजारे तईं घणखरा नांव गिणा देवे। म्हनै तो अेक बात बता क बाबे रो अनशन तोड़ावण खातर श्रीश्री अर बापू किंया पूग्या। बाबे रा हेताळु चुप। इत्ते में पाटे पर हाथ धर्यां खड््यो अेक जणों बोले-पइसो संयुक्त राष्ट्र संघ सूं मिळ्यो हो मैदान री बुकिंग खातर। चौक में सरनाटो। ओ नुवो खटको। संयुक्त राष्ट्र संघ? ओ अठै कठै सूं आयो। बोलणियो भी अचकचाय ग्यो। बो   कचैड़ी में कोई संघ-संघ करतो। क पइसा वठै सूं आया है। पाटे पर हंसी रो फव्वारो। डोफा बो संयुक्त राष्ट्र संघ नीं है।
बाबे रे समर्थकां ने मौका मिळ जावै। कोई ने कीं ठा ईज कोयनी अर बोलण नै ढुकग्या। आ कोई बात हुई। बाबा खने किसा पइसा कोयनी। भगत ई घणां। जे बाबा चावै तो घणो ई पइसो है। इण आंदोलन सूं देस री भलाई करणो चावै। जे काळो धन पाछौ आ जावै तो देस री दसा सुधर जावै। पणा थांनै तो हर जगां राजनीति लागै। चौक में थोड़ी ताळ री सून। बाबावादी हावी हुवण लाग्या। यूं लागे हो क बाबो ई साचो, सैं झूठा। इत्ते में अेक बोल्यो। म्हने तो आ बता क शनिवार ने बी जलियावाले बाग सूं थारो बाबो भाज्यो क्यों? बाबावादी बोल्या नीं भाजता तो मर्डर हुय जांवतो। तो फेर इत्ता लोग-लुगायां ने किण रै भरोसे छोड़ द्यो हो। जका थांरै भरोसे आया, उणा ने आपरै हाल पर छोडर जावणो नेतागिरी तो कोयनी। अबै आ है कईं जकी, म्हांसू क्यों पूछे लाडी? नेतो इस्यो तो हुवै कोयनी।
बाबावाद चुप। शनिवार रो रातारौळो कुण नीं देख्यो हो। सरकार री इमरजैंसी जेड़ी जोरां-जबर्दस्ती। भारतीय टीम री दाई बाबो पैली तो चकारियो बणायो अर फेर गायब हुयग्यो। बोल लाडी-सरकार गळत, काळो धन आवणो चइजै। आंदोलन सही, लोग-लुगायां भी जुडऩा चइजै। जुड़्या भी। पण इस्यो नेता किण काम रो?
बाबावादी बापड़ा कईं बोलता। पाटे पर तो किण री चाली है। डोकर खंखारो करता बोल्या-देख थांरी जे बाबे तईं पूग है तो म्हारी बात पूगा दे-बाबे ने बोल क आपरै सागै किरणबेदी, केजरीवाल, भूषण जिसा दो-च्यार सिंगा-मुठिया राख। हजारे री हाजरी सरकार भर सके तो रामदेव रा राम तो रैयसी।
-हरीश बी. शर्मा