गुरुवार, 28 अप्रैल 2011

बिन मांगे गाइड मिळै, मांगे मिळै ना साइड

नवदीप बीकानेरी बीकाणे रा ख्यातनांव गीतकार अर गायक है। लिखै है - बीकानेरी रॅप सोंग, आधा राइट आधा रोंग लोरा। पण बीकाणे री खास बात जकी वै आज तईं किसे की गाणो में नीं गाई वा है-बिन मांगे गाइड मिळै, मांगे मिळै ना साइड। इण सैर कनै सैं रो इलाज है। जुखाम लागै हजार इलाज अर लास्ट में सस्तोडिय़ो इलाज क सौ ग्राम मोटोड़ा भुजिया खाÓ र बिना पाणी पीयै सिरख ओढ़Ó र सूय जा। दिनूगे पैली जुखोम गायब।
पण साइड रे नेम रो कांई करां? जे साइड लेय र चालणौ हुंवतों तो दिल्ली-कळकत्ते में रेंवता। अठै तो  हेलमेट भी अळबत लागै। इण पर साइड लेयर चालणो...रेवण ई दो। अफसरां ने रोजीना निरणै-काळजे गाळां पड़ री है। साइकिलां पाछी निकळ गी है। केवत में कैईजे क बीकाणै में सैं सूं घणी साइकिलां चाल्या करती अेक समै।
फेरुं लोन माथै अेम-80 मिळनी सरू हुई। सरकारी जंवायां नै ओ दायजौ बरगो लाग्यो अर सैर में इसो हाको घाल्यो क दिखै जठै ई ज अेम-80। अेम-80 री पैली फेरी पूनरासर या क कोडमदेसर। सिंदूर रो साखियो अर  फेर सै में धुओं काढ़ता चावै जठै। अठीने किक लागतो अर पाटो गूंजतो - काढ़ बाप रौ नॉव।
खैर रात गई बात गई। अबै तो समै घणौ टिपग्यो। सैर में धुवों ही धुवों है। कार जित्ती गळी नीं है पण कोड माथै किण रो जोर। जोर तो सरकार में भी नीं रैयो। कल्लो जी जीत्या कोयनी। सरकार में बीकाणै रो कोई आदमी नीं है। अठीने गोपाळजी अर बठीने बाईसा। दोनूं रो सरकार सूं झोड़। भानी भाई करै तो करै कांईं। हेलमेट तो लगावणों पड़सी।
अेक बेली कोटगेट थाणै आगै झल ग्यो। लाइसेंस मांग्यो तो मोबाइल काढÓर म्हारा नंबर लगायÓ र पुलिस आळै ने इयां देवै जाणै कैवे 'ले कर थारै बाप सूं बात।Ó पुलिस आळौ कैवे कुण है-बोले हरीश बी. शर्मा, भास्कर में पत्रकार। अबै बारी पुलिसजी री। कैवे घणा ईज आवै इस्या भास्कर-पत्रिका आळा। चुपचाप चलाण कटा अर आइंदा सूं हेलमेट लगावण री तेवड़।
रीस चलाण री नीं है। रीस है हरीश सूं उण री बात  नीं करण री। 'कईं पछै थू कांयरौ पत्रकार है, अेक पुलिस आळौ थनै जाणै नीं है।Ó म्हनै लागै म्हारी सरकार सारु लायौ अविश्वास प्रस्ताव पास हुयग्यो है। नवदीप रो गाणौ अबार भी चालै है-कूद काळिया गोखे सूं गळी में किन्नो आयौ। म्हने लागै नवदीप किन्ने खातर कूदण री बात करै या क शरम सूं डूब मरण री? 
टीकल, परियल अर आंखल किन्ना आभै में सर चुक्या है। राजेश खन्ना री फिल्लम कटी पतंग रा दिन याद आवै। पण अठै तो लोग चावै क किन्नो कटै। लोग लूटण नै त्यार बैठा है। लच्छी बणा सी जकी अलायदी। आ लच्छी तो है जकी आस जगावै। असमानी, पतील, पीळौ अर लाल मंझौ इंदरधनुस ज्यूं सजै। कुण लावै है आज भी सूतायोड़ो मंझौ। बरेली सूं लटायां लेÓर आवणिया दुकान सजावै। लड़त्यां रा कोड राखण्यिा लटाव भरावै। घणखरा रो काम इण सूं इज निकळ जावै।  लूट लावै। भर लैवे सादड़ माथै बीसेक हाथ मंझौ अर सार लेवे किन्नो। म्हने लागै इणी कारणै लोग किन्ना अर किन्निया माथै आप रा नॉव लिखावण लाग्या है। कीं तो बेसी हुशियार है-उडावै एसएमएस जकैमे लिखै-बोय काट। म्हे तो सौ टका मानूं क फोरवर्डेड मैसेज री रीत भी बीकाणै सूं इज सरू हुई है। पढ़ो अर आगे करो। घेवर घूमे। सातू घूमे। किन्ना घूमे। मैसेज घूमे।
म्हारो तेल बळै घी घाल, घुड़लौ घूमे छै जी  
-हरीश बी. शर्मा           

सोमवार, 25 अप्रैल 2011

बीका थारौ जस बधै

अखातीज सूं पैली किन्ना लारै छड़ो लेयÓर पग-उभराणा दौड़ता टाबर दिखै ही नीं है। आज भी याद आवै वै दिन-कुंडियागढ़। जद कदै मोजा खोलÓर पगथळी पर हाथ फेरूं तो कांटा रड़कै। भूण खण मंझौ तो एक लड़त री ताण में लूट लावंतौ। नाथजी रो धोरो आज भी उणी जोश सागै उभौ है पण अठै तई पूगण रै मारगां माथै बरसां पैली म्हारा अेनाण मिटग्या। शरम आवै अब ताणां लूटते। भलां ही किणियां पोवण में इरीटेशन बधतौ रैवे। किन्नो सरै या क गोच खा जावै। लुट्योड़ो किन्नो उडावण में ईगो-हर्ट हुवै सो हुवै। अेक हिचको-सो लागै-लोग कांई केवैला?
ओ ईज तो रॉक है। बीकाणो सोचण लागग्यो। ऊंच-नीच। कायदा-काण। नेम-धरम। किस्यो म्हनै याद नीं है जद होळी पर घरां सूं लट्टू उतारण री होडा-होड मचती अर दीयाळी रा रामा-सामा इत्ती रेजगी भरÓर लांवता क खुजो फाट्यां ई ताबै आंवता।
अब वै सब कठै। इणी नै तो बदळाव कैवे। बदळाव री छियां। बदळाव रा सैनाण। है तो सैं की बठै रा बठै। आखातीज आवै तो किस्या खीचड़ा नीं बणै। हांडी, कुलड़ी, मटकी, गळनो, आमली अर खदबद करतो खीचड़ौ। ठैरो-ठैरो, थां लारली बार कद सुणी ही खीचड़ै री खदबदाट? याद है...? कूकर में रंधते खीचड़े में के ठा कद बाजरौ सीझ्यो अर कद मूंग रवां हुय सेर-भेळ हुयग्या।  
अब तो सीट्यां बाजै खीचड़ो त्यार। बाजै डीजै। किन्नो सर जावै। बोय काट भी रिकार्डेड है। किन्नो काटां तो बोय काट अर जे किन्ना कट जावै तो इलैक्ट्रोनिक चरखी। ताण डागलै पड़ै जिके सूं पैली मंझौ लटाई में। खूब बदळ्यो है सा। इण अबूझ सावै में   पैली अखबार आळा लिखता 'उड़ी शारदा एक्ट की धज्जियां।Ó अबै ठा ईज नीं पड़ै। नित-रा-ऊपर-डाळा चालै। किण-किण नै बरजां। रुक्यो कुण है। आ बात समझपरा जै बेंवती गंगा में हाथ धोय ले तो कुण पालै है न्हावण करण सारु...। ओ ईज तो रॉक है सा। 
सैं जाणै, आखातीज है तो आंधी आ सी। लोग कैवे-राजावां रा मन आज भी बीकाणै में  बस्योड़ा है-अतृप्त। बियां भी मुगति री चावना इण सैर में आवण रै बाद रैवे कठै है। आजादी रै दिनां ने देखण्या तो राजावां री किसी-किसी बातां बतावै है। अपां ना तो देखी अर ना पतियारौ। पीड़ तो हुवै ही है।
पण, इण बात में दम है कि राजा-महाराजा। हिज-हाईनेस। अन्नदाता। हुकुम। नगर री थापना रै मौके अेकबार आपरै सैर में आवै। आवै जद आप रै सागलां ने भी लावै। हुयÓर घोड़ां सवार। उडै जद रेत। धोरा में जागै भतूळिया। सैर में छावै अंधड़। पैला काळी कळायण उमटती। काळी-पीळी आंधी। अब वै दिन कठै। सैं की रॉक हुयग्यो। पण अंधड़ तो आज भी आवै। लोग कैवै राव बीकाजी रो पधारणौ हुवै। लोग निवणै। भर्यां कंठां जैकारा देवै। कांई बदळ्यो है-सैं की है जिस्यो हो बरसां पैली-बरसाबंद। इण रिंधरोही में अेक नुवै देस री थरपणा करण्ये राव बीके री धजा आज भी फरुके। बीका थारौ जस बधै। बदळै तो बदळै जुग-समाज, लोग-रैवणगत। कीं तो है जकौ है एकसार। एकरस।
'बीका थारौ बीकाणौ, अपणायत रौ गांव
मुरधर रौ सरताज बणै, भर् या रैवे हर ठांवÓ

हरीश बी. शर्मा