मंगलवार, 21 जून 2011

अन्नदाता रे आंगणै आज भी...

रजवाड़ा हा जद अन्नदाता रै सांमी तीन धड़ा जीमीजता। अन्नदाता रो जी आज भी सोरो है। आज भी सिंझ्या पड़ता ईज अठै जीमणिया भेळा हुवणा सरू हुय जावै। फरक थोड़ा-घणो हुय सके। जीमै तो है ही। कोई इडली खावै, कोई डोसा। चाऊमीन, पावभाजी, छोला, टिक्की, पापड़ी सैं कीं। जे अन्नदाता आज हुंवता तो बे किसा सीरो-पूड़ी ईज पुरसता। रेसीपी तो बदळीजती नीं? तो तू तो आ ईज समझ। फलाणियो चौक में पत्तो फेेंक्यो तो खाली ढिकाणिये खनी हो पण कॉन सगळों रा लाग ग्या हा। कठै री बात करै है रे?
कीं नीं काका, गढ़ सामीं री बात करूं हूं। सिंझ्या पड़ता ई बठै लैणसर गाडा लागै अर जिको मानखौ ढुके, म्हने तो लागै ज्यां तीन धड़ा है। अर फलाणियो हंसण लाग्यो। खड़ा-खड़ा खावौ। होटलां सूं कम पइसा चुकावौ अर घरां जावौ। काको  जगां ने ओळखण सारु आंख्यां मिचै हो क ढिकाणियो बाल्यो-के सोचो हो काका? थे किस्या जाणो कोयनी चटोरे चौक ने। काको कीं समझतो इणसूं पैली ही फलाणियो बोल्यो-बो ईज काका जठै थे गवर रे मेळा में जांवता। करता कीं हा, आ म्हे नीं जाणूं। काके रे चैरो जाणे पळपळाट करण लाग्यो। अच्छ्या। थूं कांई बतायो चौक रो नांव। चटोरे चौक। फलाणियो बोल्यो, काका नांव तो कीं इसो ईज है पण जे साची बोल दूं तो सेंसर बोर्ड आळा जीवण ना दे। काको तरनाट देणी घूम्यो। गाळ काढ़तो बोल्यो-सेंसर बोर्ड री तो... तू नांव बता।
इसो इज नांव है काका। अबै जित्ता मुंडा उत्ती बातां। लोग तो आ भी कैवे है क ओ जल्दी ही दिल्ली रो कनाट प्लेस बण जासी। काको खुश हो पण म्हे उदास। मन ई मन सोचतो रैयो क चाय पट्टी सूं लेयर मोहता चौक रो कांई हुसी? रबड़ी, पकौड़ी कठै जासी। साग सागै पकौड़ी अर बरफ सागै रबड़ी जद चाय पट्टी ने पकौड़ी पट्टी अर मोहता चौक ने रबड़ी चौक नीं कर सकी तो इडली-वड़े री कांई औकात। पण ओ तो हुयग्यो साब। छोटू-मोटू रो बासो आपरी जगां है अर आपरी जगां है बीके स्कूल का दईबड़ा। इण बीच ओ चाऊमीन कठै जगां बणा लीनीं। बाळनजोगा बर्गर अर पिज्जो कठै सूं धंसग्या?
म्हे सोचतो ई हो क पाटे पर केक आयग्यो। काके रे पोते रो जलमदिन हो। घर में हैप्पी बर्डे हुयौ। पाटे री सीर पक्की। काको बोल्यो-ले रे फलाणिया, केक खावां। म्हे बोल्यो काका अपां तो खीर बणावतां। काको किस्यो चूके हो-बणी हुवैली रे डोफा। सुगना री तो खीर या लापसी ईज बणै। पण छोरो आपरै भायलां री खीर री जगां केक सूं मनवार करणी चावै तो अपां भी खाय लां। चिंत्या ना कर इण में इंडा कोयनी। भीखाराम बिना इंडा रो केक बणावै। म्हे सोच्यो-जद ही भीखाराम चालै है, भुजियों रे भरोसे तो लंका लुट ई जांवती।           
-हरीश बी. शर्मा

बुधवार, 15 जून 2011

बाबे ने सनेसो, सिंगा-मुठिया राख सागै

चौक हुवै चायै पाटो। बाबो पूरी तरै चौभाटै है। कुण किण नै रोक सक्यो है। बाबो चीज ही क्या। लारलै दिनां बीकाणै आयौ जद भी रइसां रो राजा। नोखा रोड पर रैवास हो जठै मिळन खातर गया जकां री मन में ही रैय गी। उण दिन सूं ईज बाबो थरपग्यो रइसां रो बाबो। पइसा फेंको, तमाशा देखो। इण सैर ने कीं पड़ी है। घणा ई बाबा देख्या है। प्रबल ब्रह्मचारी सूं लेय र बाबा रामदेव ताणी। इण धरमधरा में सब नै नाम। सैं रो सिनमान। बाबे रे नांव भी पाळा खिंचिजग्या है। पचास डिग्री खने पूग्ये सैर रो पारो पाटे पर सौ रे नेड़े-तेड़े लागै।
बाबे रा पख लेवण्या किसा कम है। बोले, बाबो सरुआत को करी। आ केंवता ईज लोग लालकृष्ण आडवाणी सूं लेयर अन्ना हजारे तईं घणखरा नांव गिणा देवे। म्हनै तो अेक बात बता क बाबे रो अनशन तोड़ावण खातर श्रीश्री अर बापू किंया पूग्या। बाबे रा हेताळु चुप। इत्ते में पाटे पर हाथ धर्यां खड््यो अेक जणों बोले-पइसो संयुक्त राष्ट्र संघ सूं मिळ्यो हो मैदान री बुकिंग खातर। चौक में सरनाटो। ओ नुवो खटको। संयुक्त राष्ट्र संघ? ओ अठै कठै सूं आयो। बोलणियो भी अचकचाय ग्यो। बो   कचैड़ी में कोई संघ-संघ करतो। क पइसा वठै सूं आया है। पाटे पर हंसी रो फव्वारो। डोफा बो संयुक्त राष्ट्र संघ नीं है।
बाबे रे समर्थकां ने मौका मिळ जावै। कोई ने कीं ठा ईज कोयनी अर बोलण नै ढुकग्या। आ कोई बात हुई। बाबा खने किसा पइसा कोयनी। भगत ई घणां। जे बाबा चावै तो घणो ई पइसो है। इण आंदोलन सूं देस री भलाई करणो चावै। जे काळो धन पाछौ आ जावै तो देस री दसा सुधर जावै। पणा थांनै तो हर जगां राजनीति लागै। चौक में थोड़ी ताळ री सून। बाबावादी हावी हुवण लाग्या। यूं लागे हो क बाबो ई साचो, सैं झूठा। इत्ते में अेक बोल्यो। म्हने तो आ बता क शनिवार ने बी जलियावाले बाग सूं थारो बाबो भाज्यो क्यों? बाबावादी बोल्या नीं भाजता तो मर्डर हुय जांवतो। तो फेर इत्ता लोग-लुगायां ने किण रै भरोसे छोड़ द्यो हो। जका थांरै भरोसे आया, उणा ने आपरै हाल पर छोडर जावणो नेतागिरी तो कोयनी। अबै आ है कईं जकी, म्हांसू क्यों पूछे लाडी? नेतो इस्यो तो हुवै कोयनी।
बाबावाद चुप। शनिवार रो रातारौळो कुण नीं देख्यो हो। सरकार री इमरजैंसी जेड़ी जोरां-जबर्दस्ती। भारतीय टीम री दाई बाबो पैली तो चकारियो बणायो अर फेर गायब हुयग्यो। बोल लाडी-सरकार गळत, काळो धन आवणो चइजै। आंदोलन सही, लोग-लुगायां भी जुडऩा चइजै। जुड़्या भी। पण इस्यो नेता किण काम रो?
बाबावादी बापड़ा कईं बोलता। पाटे पर तो किण री चाली है। डोकर खंखारो करता बोल्या-देख थांरी जे बाबे तईं पूग है तो म्हारी बात पूगा दे-बाबे ने बोल क आपरै सागै किरणबेदी, केजरीवाल, भूषण जिसा दो-च्यार सिंगा-मुठिया राख। हजारे री हाजरी सरकार भर सके तो रामदेव रा राम तो रैयसी।
-हरीश बी. शर्मा  

सोमवार, 30 मई 2011

जीवै जित्ते खेले फाग: जीते जिक्को जावै भाग

फेर दे फलाणजी ने वोट। ओ अखाणो कदै बोदो नीं हुवै। बीकाणै में तो खैर बात ही न्यारी है। ठा नीं, अठै किस्यो फ्रिज लाग्योड़ो है। कोई चीज बासी हुवै ही नीं है। अर जकेने कोझी बणावणी है, मजाल है कि गुलाब अर केवड़े रे खशबू भी कीं निहाल कर दे। माड़ी जकी माड़ी अर मोटी जकी मोटी। जच जावै तो फेर कोई माड़ी हो चायै माटी। चालै सरनाटा देंवती। तो इस्या ही चुणाव है-हवा चालै जीते जिको जिंदाबाद। पार्षद हुवौ चायै सांसद। कीं तो अठै अेक बार जीत में धापै ई ज नीं है। अर लोग भी इस्या दातार क दे वोट-दे वोट। किस्या लोग करणीसिंहजी ने भूल्या है। भूलै जकां रौ कोई क्या कर सकै-धरमेंदर भी तो अठै सूं जीत परा ही गया।
जीवै जित्ते खेलै फाग री कैवत आळै सैर में जीते जिक्को जावै भाग रो अखाणो बणन ने त्यार है। लोगां रा काम हुवै नीं है अर ठावस रैवे कित्ती दे ताणी। चैरा इस्या क लोग रे मूंडै ताळा है। सैर इज इस्यो है। अठै लोगां ने बात सट्टै मोलाय लो भलां ई, नस कटावण नै त्यार है। इसै सैर में विकास री बात कुण करै। करै तो लोग केवण ने त्यार रैवै। गिणावण नै त्यार रैवे करणीसिंह, मनफूलसिंह, शोपतसिंह, रामेश्वर डूडी, धरमेंदर री बातां। उण घड़ी क्यूं नीं बोल्या जद करणीसिंहजी चुप बैठा रैया? बात तो साचाणी है। देस ऊंचली पंचायत में पूरा 25 साल। अर सैर बठै रो बठै। बिसो रो बिसो। उण दिनां तो कोई पार्टी-पोलीटिक्स भी नीं ही। चावै तो कीं नीं हुवै। बस, आ ईज बात। चावै तो कीं नीं हुवै। पण चावणा कठै। करणीसिंहजी री बात तो खैर समझ में आवै। आजादी रे बाद राजा-महाराजा जकी पीड़ सूं दो-च्यार हुया, उण सूं बीकाणै रा लोग वाकिफ हा। इणी खातर अन्नदाता रै करजे सारु आप रो वोट घालता रैया-घालता रैया। आज भी घाल ईज रिया है।
अबार बात अधबिचाळै ई ज ही क बात आई-साफे आळा सांसद तो कीं करता दिखै। साची राजस्थानी री बात करणीसिंहजी उठाई अर अे भी लाग मेल्या है। अर्जुन मेघवाल तो अफसर भी रैयोड़ा है। कीं जाणै नीं है राजनीति रा उणियारा। अे तो जे कीं भी करसी तो घणै में गिणीजसी। क्यूं? क्यूं कांय री डोफा। लारला कीं करयो ई ज कोयनी तो गिणती तो अठै सूं ही सरू हुवैली नीं। आ बात नीं है-रामेश्वर डूडी अर धरमेंदर भी पइसो तो लगायो ही हो। पाटो बोलै जद कुण नीं हंकरै। अर म्हारी किसी जाड़। मानण में के जावै। पण कुबदी कठै स्याणा रैवै। पूर-पल्ला करण लाग्या तो सून बापरगी।
अेके सागै पाटै पर जैकारो लाग्यो-फेर दो फलाणिये ने वोट। आ केवणी ही क नेताजी आयग्या। रामरमी करी। बतायौ कोई बेसक में आया है। च्यार-पांच चमचलिया सागै हुयग्या। हाथ जोड़ कर हुणियार ने नमस्कार री बात कैयी। चौक में भी आ ईज बात ही क हुणियार ने नमस्कार है। अब कोई साब है तो कोई भाईसाब। कोई बाबूसा है तो कोई बाईसा। भाई ने कुण केय सके तो साफे आळा साब री बात ही निरवाळी। बुलावै जको जाणै सवा घंटा इणां ने ईज देवणो पड़सी। बातां घणी मठार-मठार करै। फेसबुक माथै भी खेचळ करता दिखै। पर सैर बठै रो बठै। अेक पुलियो बरसां पैली बण्यो अर दूजो बरसां सूं बण रियो है। कद पूरो हुयसी कोई नीं जाणै। जद इंजीनियरां रै जच सी। नेतावां ने दम है कोयनी। अफसरां रो मतळब सर रियो है। सूरसागर पाछो बासण लाग्यो तो थांने कांई। शहीद जेम्स रे नांव बणी सड़क आज भी सुधरी कोयनी तो फूटा चालण आळा रां। किण री गाय कुण नीरै। भाई जाणै ना भाईसा, साब जाणै, म्हाराज जाणै न जाणै बाबूसा। बाईसा सूं आस राखणो जायज नीं है। बाई-बेटी सूं लेवां के देवां? इण सवाल सारु सारो सैर अेकामतो है। कोई बाईसा ने कीं केवे ईज नीं है। केवै तो कोई ने ईज नीं है। खुदा-खुद ही चूख लेवै चामड़ी। भरता रैवे चरूटियां। उपड़ता रैवे झरूंटिया। थांनै कोई कवि याद आवै तो करौ। गया वे दिन जद रात रा कवि पाटा माथै पूग जांवता अर हवा रा लैरका सागै बाजतौ कदै भीम रौ तुणतुणियो। भादाणी रो सत। सदीक रो इयां कियां। पाटा अर चौक आज भी इण ने झुरे। अे पाटा अर चौक बापड़ा कीं जाणै क अे मिनख हा। इणा री तरयां चीज नीं हा। कांई साची पाटो चीज अर चौक बस अेक जगै है? बोला मालक...बोला-बोला क्यूं बैठा हो।
हरीश बी. शर्मा      

मंगलवार, 3 मई 2011

है के नीं...

महाभारत में अेक बात है 'वयं पंचाधिकम शतमÓ इण रौ अरथ ओ क म्हां भलै ईज आपस में लड़तां रैवां। कोई तीजो लड़त मांडै तो म्हें अेक हां। आईपीअेल में आ बात सामीं आवै। अेक टीम में खेलणिया पइसे री बात  पर अलायदा हुय जावै। देस री बात पर अेक।
लारलै अदीतवार जैपुर गयौ मैच देखण नै। घणौ रोळो सुण्यो-इंडियन प्रीमियर लीग रो। छोरयां रे नाचण सूं लेय परो लार लै दिनां अेके सागै खेलण आळा नै आमीं-सामीं खेलण री बात। सैं की पइसां रो खेल। पास हुवौ चायै फेल। पइसा पक्का। सैं इंतजाम। टिगट रा पइसा चुकावौ अर फोगट में खावौ-पीवौ। फोटवां खिंचावौ। पण अे सब जद क थे मांय पूगौ। जगै-जगै जांच। पेन भी ले जावण री रोक। गुटखो अर मोबाइल तो ले जाय ई नी सको। पण अपां किसा कम हा-मोबाइल रो खटको बंद करियो अर मोजा में खसोळ लियो। सिक्योरिटी आळा बापड़ा कईं करता। हाथां में चिंपिया बरगा औजार लिया टंटोळना करया अर फेरूं बोल्यो-आप जा सको। अपां सीधा सवाई मानसिंह स्टेडियम रे मोय। पैली नजर में ईज तरी आयगी। पण अबार तो कईं बातां आवणी है। लाग्यौ इत्ता बडा-बडा खिलाड़ी अर इत्तो सो मैदान?
राजस्थान रॉयल्स अर पुणे वॉरियर्स रे बीचाळै मैच हो। पैली पुणे री टीम खेली-युवराजसिंह तीजै-चौथे डाम आयौ अर ओ जा अर बोई जा हुयगो। टीवी पर छक्का लगावतो भीम बरगो लागै जको युवराज म्हनै तो कोई खास नीं लाग्यो। अर शेन वार्न ने देख र तो भरोसा हुयग्यो क लाई ने सचिन रा सुपणा आय सके। टीवी अर अखबारां में डीगा लागण्या अे खिलाड़ी अठै म्हां जिस्या ही हा। हां, कोई खने म्हां जिस्यो पेट नीं हो तो कोई म्हारै जिस्यो काळो नीं हो। पैली दफै लाग्यो क मीडिया भी इणां ने कीं रो कीं बणावण में कसर नीं राखै। अे टीवी आळा तो भई-रामा ही भजौ। 
अेक बात ठा और पड़ी। टीवी में मैच देखां जणां चौका-छक्का पर लोगों ने झूमता देखां हां नीं। वे छक्का-चौका पर नीं, गाणां री धुनां पर झूमे। अर गाणा भी किस्या-बिस्या ईज।  तो म्हनै ठा पडग़ी असली बात। मैच करावण्या अठै बडा-बडा डीजे लगा मेल्या। जियां ही कोई चौको लगावै। आउट हुय जावै। गाणो बाजै। अेकर तो जोर की हुयी। अठीने छक्को लाग्यो अर दूजी कनै 'मुन्नी बदनाम हुयी...।Ó बात अठे ईज नीं ठैरी। ठा पडिय़ो के सरकार में मंत्राणीजी बीना काक अठै फिल्लम एक्टर  अरबाज खान सागै आयोड़ा है। इण बीच मुन्नी बदनाम हुयी तो ड्यूटी पर खड़ी लुगायां भी मुंडौ लुकार हंसण लागी। वै करै तो कीं करै। पुलिस री ड्यूटी इज इसी है।
खेल तो टेलर रो जोरदार हो। लोग उण नै भारतीय टेलर ज्यूं घड़ी-घड़ी बुलावै अर कैवे टेलर सुण म्हारा कपड़ा सिड़ दिया कईं। बो बापड़ौ कीं और ईज समझतौ अर नाड़ घुमार हंसतौ। इसी ज बोथा सागै हुयी। लोग कैयो मोथो है। भीतड़ी नांव सूं जाणीजतो राहुल द्राविड़ आयौ तो कीं जम्यो। पण इण मैच ने जमावण्या तो दर्शक हा का भांत-भांत रा गाणा। चमकीला कपड़ा पैर परी नाचण खात लायोड़ी छोरयां नै उण दिन राजस्थानी गाभा पैराय दिया। बापड़ी कदै गाभा संभाळती तो कदै आप नै।  लोग उणां पर हंसता रैया। साची कैंवूं तो म्हनै तो जैपर अर बीकाणै में खास फरक लखायौ नीं। हां, फरक हो जको ओ क बीकाणै में इत्ती मैंगी-मैंगी टिगटां बिकती कियां।

म्हनै याद आयौ वो अेसअेमअेस-
सोचो जे आईपीअेल री जगै बीपीअेल-बीकानेर प्रीमियर लीग हुवै तो टीमां रो नोव कियां हुवैला?
- केकेआर-कल्ला नाइट राइडर्स
- आरआर-रामपुरा रॉयल्स
-  पीडी - पुष्करणा डेयरडेविल्स
- आरसीबी-रॉयल चैलेंजर्स भीनासर
- सीअेसके- चौतीना कुआं सुपरकिंग्स
- अेम आई-मुक्ताप्रसाद इंडियंस
- केईपी-किंग्स इलेवन पाटा
है के नीं


- हरीश बी. शर्मा



गुरुवार, 28 अप्रैल 2011

बिन मांगे गाइड मिळै, मांगे मिळै ना साइड

नवदीप बीकानेरी बीकाणे रा ख्यातनांव गीतकार अर गायक है। लिखै है - बीकानेरी रॅप सोंग, आधा राइट आधा रोंग लोरा। पण बीकाणे री खास बात जकी वै आज तईं किसे की गाणो में नीं गाई वा है-बिन मांगे गाइड मिळै, मांगे मिळै ना साइड। इण सैर कनै सैं रो इलाज है। जुखाम लागै हजार इलाज अर लास्ट में सस्तोडिय़ो इलाज क सौ ग्राम मोटोड़ा भुजिया खाÓ र बिना पाणी पीयै सिरख ओढ़Ó र सूय जा। दिनूगे पैली जुखोम गायब।
पण साइड रे नेम रो कांई करां? जे साइड लेय र चालणौ हुंवतों तो दिल्ली-कळकत्ते में रेंवता। अठै तो  हेलमेट भी अळबत लागै। इण पर साइड लेयर चालणो...रेवण ई दो। अफसरां ने रोजीना निरणै-काळजे गाळां पड़ री है। साइकिलां पाछी निकळ गी है। केवत में कैईजे क बीकाणै में सैं सूं घणी साइकिलां चाल्या करती अेक समै।
फेरुं लोन माथै अेम-80 मिळनी सरू हुई। सरकारी जंवायां नै ओ दायजौ बरगो लाग्यो अर सैर में इसो हाको घाल्यो क दिखै जठै ई ज अेम-80। अेम-80 री पैली फेरी पूनरासर या क कोडमदेसर। सिंदूर रो साखियो अर  फेर सै में धुओं काढ़ता चावै जठै। अठीने किक लागतो अर पाटो गूंजतो - काढ़ बाप रौ नॉव।
खैर रात गई बात गई। अबै तो समै घणौ टिपग्यो। सैर में धुवों ही धुवों है। कार जित्ती गळी नीं है पण कोड माथै किण रो जोर। जोर तो सरकार में भी नीं रैयो। कल्लो जी जीत्या कोयनी। सरकार में बीकाणै रो कोई आदमी नीं है। अठीने गोपाळजी अर बठीने बाईसा। दोनूं रो सरकार सूं झोड़। भानी भाई करै तो करै कांईं। हेलमेट तो लगावणों पड़सी।
अेक बेली कोटगेट थाणै आगै झल ग्यो। लाइसेंस मांग्यो तो मोबाइल काढÓर म्हारा नंबर लगायÓ र पुलिस आळै ने इयां देवै जाणै कैवे 'ले कर थारै बाप सूं बात।Ó पुलिस आळौ कैवे कुण है-बोले हरीश बी. शर्मा, भास्कर में पत्रकार। अबै बारी पुलिसजी री। कैवे घणा ईज आवै इस्या भास्कर-पत्रिका आळा। चुपचाप चलाण कटा अर आइंदा सूं हेलमेट लगावण री तेवड़।
रीस चलाण री नीं है। रीस है हरीश सूं उण री बात  नीं करण री। 'कईं पछै थू कांयरौ पत्रकार है, अेक पुलिस आळौ थनै जाणै नीं है।Ó म्हनै लागै म्हारी सरकार सारु लायौ अविश्वास प्रस्ताव पास हुयग्यो है। नवदीप रो गाणौ अबार भी चालै है-कूद काळिया गोखे सूं गळी में किन्नो आयौ। म्हने लागै नवदीप किन्ने खातर कूदण री बात करै या क शरम सूं डूब मरण री? 
टीकल, परियल अर आंखल किन्ना आभै में सर चुक्या है। राजेश खन्ना री फिल्लम कटी पतंग रा दिन याद आवै। पण अठै तो लोग चावै क किन्नो कटै। लोग लूटण नै त्यार बैठा है। लच्छी बणा सी जकी अलायदी। आ लच्छी तो है जकी आस जगावै। असमानी, पतील, पीळौ अर लाल मंझौ इंदरधनुस ज्यूं सजै। कुण लावै है आज भी सूतायोड़ो मंझौ। बरेली सूं लटायां लेÓर आवणिया दुकान सजावै। लड़त्यां रा कोड राखण्यिा लटाव भरावै। घणखरा रो काम इण सूं इज निकळ जावै।  लूट लावै। भर लैवे सादड़ माथै बीसेक हाथ मंझौ अर सार लेवे किन्नो। म्हने लागै इणी कारणै लोग किन्ना अर किन्निया माथै आप रा नॉव लिखावण लाग्या है। कीं तो बेसी हुशियार है-उडावै एसएमएस जकैमे लिखै-बोय काट। म्हे तो सौ टका मानूं क फोरवर्डेड मैसेज री रीत भी बीकाणै सूं इज सरू हुई है। पढ़ो अर आगे करो। घेवर घूमे। सातू घूमे। किन्ना घूमे। मैसेज घूमे।
म्हारो तेल बळै घी घाल, घुड़लौ घूमे छै जी  
-हरीश बी. शर्मा           

सोमवार, 25 अप्रैल 2011

बीका थारौ जस बधै

अखातीज सूं पैली किन्ना लारै छड़ो लेयÓर पग-उभराणा दौड़ता टाबर दिखै ही नीं है। आज भी याद आवै वै दिन-कुंडियागढ़। जद कदै मोजा खोलÓर पगथळी पर हाथ फेरूं तो कांटा रड़कै। भूण खण मंझौ तो एक लड़त री ताण में लूट लावंतौ। नाथजी रो धोरो आज भी उणी जोश सागै उभौ है पण अठै तई पूगण रै मारगां माथै बरसां पैली म्हारा अेनाण मिटग्या। शरम आवै अब ताणां लूटते। भलां ही किणियां पोवण में इरीटेशन बधतौ रैवे। किन्नो सरै या क गोच खा जावै। लुट्योड़ो किन्नो उडावण में ईगो-हर्ट हुवै सो हुवै। अेक हिचको-सो लागै-लोग कांई केवैला?
ओ ईज तो रॉक है। बीकाणो सोचण लागग्यो। ऊंच-नीच। कायदा-काण। नेम-धरम। किस्यो म्हनै याद नीं है जद होळी पर घरां सूं लट्टू उतारण री होडा-होड मचती अर दीयाळी रा रामा-सामा इत्ती रेजगी भरÓर लांवता क खुजो फाट्यां ई ताबै आंवता।
अब वै सब कठै। इणी नै तो बदळाव कैवे। बदळाव री छियां। बदळाव रा सैनाण। है तो सैं की बठै रा बठै। आखातीज आवै तो किस्या खीचड़ा नीं बणै। हांडी, कुलड़ी, मटकी, गळनो, आमली अर खदबद करतो खीचड़ौ। ठैरो-ठैरो, थां लारली बार कद सुणी ही खीचड़ै री खदबदाट? याद है...? कूकर में रंधते खीचड़े में के ठा कद बाजरौ सीझ्यो अर कद मूंग रवां हुय सेर-भेळ हुयग्या।  
अब तो सीट्यां बाजै खीचड़ो त्यार। बाजै डीजै। किन्नो सर जावै। बोय काट भी रिकार्डेड है। किन्नो काटां तो बोय काट अर जे किन्ना कट जावै तो इलैक्ट्रोनिक चरखी। ताण डागलै पड़ै जिके सूं पैली मंझौ लटाई में। खूब बदळ्यो है सा। इण अबूझ सावै में   पैली अखबार आळा लिखता 'उड़ी शारदा एक्ट की धज्जियां।Ó अबै ठा ईज नीं पड़ै। नित-रा-ऊपर-डाळा चालै। किण-किण नै बरजां। रुक्यो कुण है। आ बात समझपरा जै बेंवती गंगा में हाथ धोय ले तो कुण पालै है न्हावण करण सारु...। ओ ईज तो रॉक है सा। 
सैं जाणै, आखातीज है तो आंधी आ सी। लोग कैवे-राजावां रा मन आज भी बीकाणै में  बस्योड़ा है-अतृप्त। बियां भी मुगति री चावना इण सैर में आवण रै बाद रैवे कठै है। आजादी रै दिनां ने देखण्या तो राजावां री किसी-किसी बातां बतावै है। अपां ना तो देखी अर ना पतियारौ। पीड़ तो हुवै ही है।
पण, इण बात में दम है कि राजा-महाराजा। हिज-हाईनेस। अन्नदाता। हुकुम। नगर री थापना रै मौके अेकबार आपरै सैर में आवै। आवै जद आप रै सागलां ने भी लावै। हुयÓर घोड़ां सवार। उडै जद रेत। धोरा में जागै भतूळिया। सैर में छावै अंधड़। पैला काळी कळायण उमटती। काळी-पीळी आंधी। अब वै दिन कठै। सैं की रॉक हुयग्यो। पण अंधड़ तो आज भी आवै। लोग कैवै राव बीकाजी रो पधारणौ हुवै। लोग निवणै। भर्यां कंठां जैकारा देवै। कांई बदळ्यो है-सैं की है जिस्यो हो बरसां पैली-बरसाबंद। इण रिंधरोही में अेक नुवै देस री थरपणा करण्ये राव बीके री धजा आज भी फरुके। बीका थारौ जस बधै। बदळै तो बदळै जुग-समाज, लोग-रैवणगत। कीं तो है जकौ है एकसार। एकरस।
'बीका थारौ बीकाणौ, अपणायत रौ गांव
मुरधर रौ सरताज बणै, भर् या रैवे हर ठांवÓ

हरीश बी. शर्मा