सोमवार, 25 अप्रैल 2011

बीका थारौ जस बधै

अखातीज सूं पैली किन्ना लारै छड़ो लेयÓर पग-उभराणा दौड़ता टाबर दिखै ही नीं है। आज भी याद आवै वै दिन-कुंडियागढ़। जद कदै मोजा खोलÓर पगथळी पर हाथ फेरूं तो कांटा रड़कै। भूण खण मंझौ तो एक लड़त री ताण में लूट लावंतौ। नाथजी रो धोरो आज भी उणी जोश सागै उभौ है पण अठै तई पूगण रै मारगां माथै बरसां पैली म्हारा अेनाण मिटग्या। शरम आवै अब ताणां लूटते। भलां ही किणियां पोवण में इरीटेशन बधतौ रैवे। किन्नो सरै या क गोच खा जावै। लुट्योड़ो किन्नो उडावण में ईगो-हर्ट हुवै सो हुवै। अेक हिचको-सो लागै-लोग कांई केवैला?
ओ ईज तो रॉक है। बीकाणो सोचण लागग्यो। ऊंच-नीच। कायदा-काण। नेम-धरम। किस्यो म्हनै याद नीं है जद होळी पर घरां सूं लट्टू उतारण री होडा-होड मचती अर दीयाळी रा रामा-सामा इत्ती रेजगी भरÓर लांवता क खुजो फाट्यां ई ताबै आंवता।
अब वै सब कठै। इणी नै तो बदळाव कैवे। बदळाव री छियां। बदळाव रा सैनाण। है तो सैं की बठै रा बठै। आखातीज आवै तो किस्या खीचड़ा नीं बणै। हांडी, कुलड़ी, मटकी, गळनो, आमली अर खदबद करतो खीचड़ौ। ठैरो-ठैरो, थां लारली बार कद सुणी ही खीचड़ै री खदबदाट? याद है...? कूकर में रंधते खीचड़े में के ठा कद बाजरौ सीझ्यो अर कद मूंग रवां हुय सेर-भेळ हुयग्या।  
अब तो सीट्यां बाजै खीचड़ो त्यार। बाजै डीजै। किन्नो सर जावै। बोय काट भी रिकार्डेड है। किन्नो काटां तो बोय काट अर जे किन्ना कट जावै तो इलैक्ट्रोनिक चरखी। ताण डागलै पड़ै जिके सूं पैली मंझौ लटाई में। खूब बदळ्यो है सा। इण अबूझ सावै में   पैली अखबार आळा लिखता 'उड़ी शारदा एक्ट की धज्जियां।Ó अबै ठा ईज नीं पड़ै। नित-रा-ऊपर-डाळा चालै। किण-किण नै बरजां। रुक्यो कुण है। आ बात समझपरा जै बेंवती गंगा में हाथ धोय ले तो कुण पालै है न्हावण करण सारु...। ओ ईज तो रॉक है सा। 
सैं जाणै, आखातीज है तो आंधी आ सी। लोग कैवे-राजावां रा मन आज भी बीकाणै में  बस्योड़ा है-अतृप्त। बियां भी मुगति री चावना इण सैर में आवण रै बाद रैवे कठै है। आजादी रै दिनां ने देखण्या तो राजावां री किसी-किसी बातां बतावै है। अपां ना तो देखी अर ना पतियारौ। पीड़ तो हुवै ही है।
पण, इण बात में दम है कि राजा-महाराजा। हिज-हाईनेस। अन्नदाता। हुकुम। नगर री थापना रै मौके अेकबार आपरै सैर में आवै। आवै जद आप रै सागलां ने भी लावै। हुयÓर घोड़ां सवार। उडै जद रेत। धोरा में जागै भतूळिया। सैर में छावै अंधड़। पैला काळी कळायण उमटती। काळी-पीळी आंधी। अब वै दिन कठै। सैं की रॉक हुयग्यो। पण अंधड़ तो आज भी आवै। लोग कैवै राव बीकाजी रो पधारणौ हुवै। लोग निवणै। भर्यां कंठां जैकारा देवै। कांई बदळ्यो है-सैं की है जिस्यो हो बरसां पैली-बरसाबंद। इण रिंधरोही में अेक नुवै देस री थरपणा करण्ये राव बीके री धजा आज भी फरुके। बीका थारौ जस बधै। बदळै तो बदळै जुग-समाज, लोग-रैवणगत। कीं तो है जकौ है एकसार। एकरस।
'बीका थारौ बीकाणौ, अपणायत रौ गांव
मुरधर रौ सरताज बणै, भर् या रैवे हर ठांवÓ

हरीश बी. शर्मा      

10 टिप्‍पणियां:

  1. राजस्‍थानी मांय ब्‍लॉग री खेचळ सारू आपनै लखदाद ...... ओ ब्‍लॉग नुंवां पांवडा धरसी, आ आस करीजै...... मंगळकामनावां

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  2. दुलारामजी, आप री बात म्हनै बांधण सारु जेवड़े ज्यूं लखावै। खेचळ जारी रैवेली...

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  3. आशीषजी, इणी तर् यां हौसला-आफजाई करता रैवजो...

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  4. बौत खूब लिखी हरीशजी। अबै सब रैडिमेड है। खीचड् भी रैडिमेड है। बा ही सन्‍न्‍न् बाजती आंध्‍या है पण बिंगो सामणो करण रो तरीको बदळग्‍यो है।फैर भी बीकानेर रै रॉक करे है थौडो राईट और थोडो रोंग करे है।

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  5. harish ji,
    aapne in blog saaru ghana-ghana rang sa..
    maayad-bhasa ro blog dekh ne ghano harakh huyo..

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  6. हां, मनीषजी, बीकानेरी रॅप सोंग आधा राइट, आधा रोंग...लोरा । इण गीत रा रचयिता नवदीपजी तो बीकाणै री सौरम है।

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  7. चैनसिंहजी सा, श्रीगणेश कर् यो है, लिखणो तो दोरो ई ज है, थे किसी जाणो नीं हो।

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  8. वाह सा हरीश जी,वाह !
    आखातीज रै मौकै माथै ऐक और ब्लोगडो़ रांध लियो !
    जय हो !
    ओ भी ज़बरो काम है !
    भोत व्यस्त माणस हो !
    कद टैम काढस्यो इण माथै लिखण सारू -राम ई जाणै !
    आस पण पैलडै़ लेख नै देखतां बधै कै आप खेचळ जरूर करस्यो !
    म्हारी सुकामनावां आपरी इण हूंस भरी खेचळ नै !
    लाग्या रै’वो -बणसी बात-बण ई सी बात तो !
    जय हो !
    ऐकर फ़ेरूं बधायजै !

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  9. वाह सा हरीश जी,वाह !
    आखातीज रै मौकै माथै ऐक और ब्लोगडो़ रांध लियो !
    जय हो !
    ओ भी ज़बरो काम है !
    भोत व्यस्त माणस हो !
    कद टैम काढस्यो इण माथै लिखण सारू -राम ई जाणै !
    आस पण पैलडै़ लेख नै देखतां बधै कै आप खेचळ जरूर करस्यो !
    म्हारी सुकामनावां आपरी इण हूंस भरी खेचळ नै !
    लाग्या रै’वो -बणसी बात-बण ई सी बात तो !
    जय हो !
    ऐकर फ़ेरूं बधायजै !

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